इंदिरा आईवीएफ ने वर्ल्डल आईवीएफ डे से पहले भारत में पहली बार 85,000 सफल आईवीएफ प्रिग्नैंसीज पूर सीज हासिल किया

मुंबई, 26, जुलाई, 2021:भारत का सबसे बड़ा इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट्स चेन, इंदिरा आईवीएफ 85,000 सफल आईवीएफ प्रिग्‍नैंसीज पूरा करते हुए एक महत्‍वपूर्ण उपलब्धि हासिल कर चुका है। अपने चिकित्‍सा विशेषज्ञों, इम्‍ब्रायोलॉजिस्‍ट्स, और तकनीकी कौशल के दम पर, इस सिंगल स्‍पेशियाल्‍टी चेन ने 25 जुलाई को मनाये जाने वाले वर्ल्‍ड आईवीएफ डे के पूर्व इस उपलब्धि की घोषणा की।

ज्ञात तौर पर अग्रणी, इंदिरा आईवीएफ ने इनफर्टिलिटी से जुड़े कलंक को दूर करने के लिए अथक प्रयास किया है। यह 700 से अधिक शहरों में 2100 से अधिक जागरूकता शिविर आयोजित कर चुका है ताकि इस विषय से जुड़ी चर्चाओं को सामान्‍य रूप दिया जा सके। भारत में, गर्भधारण करने की अक्षमता के लिए गैरआनुपातिक रूप से महिलाओं को जिम्‍मेदार माना जाता है, जबकि जबकि शोध से पता चला है कि इनफर्टिलिटीके लिए महिला और पुरुष दोनों ही भागीदार हो सकते हैं; कई बार तो बच्चा पैदा करने के लिए अवैज्ञानिक तरीकों का भी सहारा लेते हैं।

इंदिरा आईवीएफ के देश भर में 96 केंद्र हैं, जिनकी प्रमुख उपस्थिति टियर II और टियर III शहरों में है, जो सबसे दूरस्थ स्थानों में भी बांझपन का एक सुलभ समाधान प्रदान करता है। मार्केट लीडर, इंदिरा आईवीएफ उन जोड़ों को किफायती गुणवत्तापूर्ण उपचार देने पर केंद्रित है जो स्वाभाविक रूप से गर्भ धारण करने के लिए जटिलताओं का सामना करते हैं। इंदिरा आईवीएफ की उच्च सफलता दर और रोगी केंद्रितता ने इसे उन लोगों के लिए एक विश्वसनीय भागीदार बना दिया है जो माता-पिता बनने की इच्छा रखते हैं।

उपलब्धि के बारे में प्रतिक्रिया जताते हुए, इंदिरा आईवीएफ के मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी और सह-संस्थापक, डॉ. क्षितिज मुर्दिया ने कहा, ”हम अपने रोगियों पर सकारात्मक प्रभाव डालने में सक्षम हैं, यह देखकर हमें बहुत खुशी होती है। जब हमने शुरुआत की थी, हम उस नजरिये को बदलना चाहते थे जो समाज के भीतर बांझपन को लेकर है, और हम रोमांचित हैं कि अधिकांश संख्‍या में लोग इनफर्टिलिटी के लिए चिकित्सा समाधान ढूंढ रहे हैं। यह उपलब्धि इस बात का भी सबूत है कि महामारी की स्थिति में भी, हमारे रोगियों ने इलाज के दौरान अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हम पर भरोसा किया।”

उन्‍होंने आगे बताया, ”विश्व आईवीएफ दिवस का अवसर प्रजनन प्रौद्योगिकी के इतिहास में एक उल्लेखनीय तारीख को दर्शाता है; 43 साल पहले 1978 में इसी तारीख को पहले आईवीएफबच्चे का जन्म हुआ था। अब हम एक लंबा सफर तय कर चुके हैं। तकनीकी हस्तक्षेप जैसे कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता और ऑटोमेशन को तह में शामिल करने से आईवीएफ उपचार की सफलता पर बहुत प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। हम इस महान कार्य में अपनी छोटी सी भूमिका निभाने और माता-पिता बनने का सपना देखने वालों की सहायता करने के लिए उत्साहित हैं।”

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