होण्डा 2व्हीलर्स इंडिया ने अपने नवीकरणीय ऊर्जा पोर्टफोलियो का किया विस्तार गुजरात में स्थापित किया दूसरा विंड टरबाईन सिस्टम

अहमदाबाद, 17 दिसम्बर, 2021ः हाइब्रिड एनर्जी सिस्टम (विंड एवं सोलर) के उपयोग द्वारा गैर-नवीकरणीय स्रोतों पर निर्भरता कम करते हुए होण्डा मोटरसाइकल एण्ड स्कूटर इंडिया प्रा. लिमिटेड ने कंपनी के विट्ठलपुर प्लांट से तकरीबन 350 किलोमीटर की दूरी पर भनवाद (द्वारका ज़िला, गुजरात) में अपने दूसरे विंड टरबाईन सिस्टम का उद्घाटन किया।
रु 176 मिलियन के निवेश के साथ, होण्डा अब कुल 4.7 मेगावॉट पवन ऊर्जा का उत्पादन करेगी, जिसमें पिछले साल राधनपुर (पाटन ज़िला, गुजरात) में स्थापित किए गए पहले विंड टरबाईन सिस्टम (2 मेगावॉट क्षमता) से उत्पन्न ऊर्जा भी शामिल है।
उल्लेखनीय है कि एचएमएसआई अब अपने चारों मैनुफैक्चरिंग प्लांट्स- मनेसर (हरियाणा), तापुकारा (राजस्थान), नरसापुरा (कर्नाटक) और विट्ठलपुर (गुजरात)- में ऊर्जा की 50 फीसदी से ज़्यादा ज़रूरत को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से पूरा करेगी।
उद्घाटन समारोह के दौरान अपने विचार व्यक्त करते हुए श्री अत्सुशी ओगाता, मैनेजिंग डायरेक्टर, प्रेज़ीडेन्ट एवं सीईओ, होण्डा मोटरसाइकल एण्ड स्कूटर इंडिया ने कहा, ‘‘समाज के प्रति ज़िम्मेदार कंपनी होने के नाते, आज और आने वाले कल के लिए, ऊर्जा सुरक्षा होण्डा के लिए प्राथमिक क्षेत्र है। थर्मल पावर की खपत को कम कर, एचएमएसआई 2050 तक कार्बन न्यूट्रेलिटी हासिल करने के होण्डा के पर्यावरण संरक्षण दृष्टिकोण में योगदान दे रही है। गुजरात में दूसरे विंड टरबाईन का उद्घाटन हमारे उत्पादों और कारोबारी गतिविधियों के कारण पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने की दिशा में एक और प्रयास है। आने वाले समय में भी हम प्राकृतिक पर्यावरण के संरक्षण की दिशा में अपने प्रयासों को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’

आने वाली पीढ़ियों के लिए सौर और पवन ऊर्जा का उपयोग
नवीकरणीय ऊर्जा की ओर अपने दृष्टिकोण को बढ़ाते हुए, होण्डा 2व्हीलर्स इंडिया विद्युत उत्पादन के लिए निरंतर स्थायी स्रोतों में निवेश कर रही है। हर साल तकरीबन 66 मेगवॉट विद्युत के उत्पादन के साथ, देश भर में एचएमएसआई की सभी मैनुफैक्चरिंग युनिट्स कंपनी की ऊर्जा संबंधी विभिन्न ज़रूरतों के लिए नव्यकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करती हैं।
वित्तीय वर्ष 20-21 के लिए एचएमएसआई ने नव्यकरणीय स्रोतों से 77 मिलियन ज्ञॅी से अधिक युनिट्स विद्युत का उत्पादन किया, साथ ही कार्बन डाई ऑक्साईड के उत्सर्जन में 55,000 मीट्रिक टन की कमी लाकर पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दिया है।

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