एसीसी ट्रस्ट ने महाराष्ट्र के चंद्रपुर और यवतमाल में बेहतर आजीविका के लिए पुराने जल संसाधनों को पुनरुद्धार किया

मुंबई, 14 अप्रैल, 2022- एसीसी लिमिटेड की कॉर्पाेरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) शाखा एसीसी ट्रस्ट ने महाराष्ट्र के चंद्रपुर और यवतमाल जिले के 9 गांवों में ग्रामीण समुदायों के बीच पानी की उपलब्धता बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किए हैं।

जैसा कि हम सब जानते हैं, जल इस धरती पर जीवन के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है, सिंचाई, बिजली उत्पादन, उद्योग, वन्य जीवन और घरेलू उद्देश्यों के लिए भी पर्याप्त पानी की आवश्यकता है। खासकर जब गांवों की बात आती है, तो पानी मूलभूत स्रोत है, क्योंकि ग्रामीण पूरी तरह से अपनी आजीविका के लिए इस पर ही निर्भर रहते हैं। इसलिए, उनकी फसलों और पशुओं के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त पेयजल और सिंचाई जल स्रोतों की आपूर्ति आवश्यक हो जाती है।

एसीसी लिमिटेड के एमडी और सीईओ श्रीधर बालकृष्णन ने कहा, ‘‘एसीसी ट्रस्ट में, हमने जल संरक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से पानी जैसी महत्वपूर्ण जरूरतों को पूरा करके ग्रामीण लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए लगातार काम किया है। विशेष रूप से पानी की कमी वाले क्षेत्रों में जल संसाधन प्रबंधन पर हमने लगातार फोकस किया है और इस दिशा में हमने स्थानीय समुदायों के साथ लगातार सहयोग के माध्यम से अपनी कोशिशों को आगे बढ़ाया है। दरअसल कंपनी एक ऐसा समग्र दृष्टिकोण अपनाती है जो जल संसाधनों के सतत प्रबंधन को सुनिश्चित करता है।’’

एसीसी ट्रस्ट ने सामुदायिक संपर्क मॉडल को लागू किया, जो सभी संभावित परियोजना क्षेत्रों में पार्टिसिपेटरी रूरल अप्रेजल (पीआरए) अभ्यास के साथ शुरू हुआ। पीआरए के साथ-साथ कृषि उत्पादन और जल स्रोतों पर भी ध्यान दिया गया, जिनके माध्यम से सिंचाई नेटवर्क का प्रबंधन किया गया था। परियोजना के शुरुआती चरणों में, किसानों की जरूरतों और प्राथमिकताओं को पहचानने और समझने के लिए जल उपयोगकर्ता संघ (डब्ल्यूयूए) समितियों के साथ समुदायों को जोड़ने पर केंद्रित समूह का गठन किया गया था।

एसीसी ट्रस्ट ने कार्यान्वयन के लिए कुछ संरचनाओं का प्रस्ताव रखा, सबसे पहले, सीमेंट नाला बांध (सीएनबी) का निर्माण और मरम्मत जो वर्षा जल संचयन में मदद करता है जिससे किसानों को दोहरी फसल लेने और अधिक रबी फसल उगाने में मदद मिलती है। एक अन्य संरचना में बाढ़ सिंचाई को नियंत्रित करने के लिए ड्रिप/माइक्रो सिंचाई को बढ़ावा देना और स्थापित करना शामिल है और अंत में, खेत तालाब और अन्य जलाशयों से गाद निकालने का प्रस्ताव किया गया था।                

इन संरचनाओं के माध्यम से, विशेष रूप से मानसून के बाद 3 महीनों के दौरान सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता में वृद्धि हुई, जिससे 671 हेक्टेयर जमीन को सिंचाई के लिए पानी मिलने लगा। इसने निकटतम किसानों के लिए कृषि क्षेत्र और कृषि गतिविधि में 40 प्रतिशत की वृद्धि की। किसान रबी की फसल उगाने में सक्षम हुए और उत्पादकता भी 7-8 क्विंटल तक बढ़ गई।

सीएनबी के पास बने कुएं पहले सूख जाते थे, लेकिन अब इनमें जून तक का पानी भर गया है, जिसके परिणामस्वरूप गांवों से पलायन में कमी आई है और मवेशियों की संख्या में वृद्धि हुई है। इसके अलावा, भूजल स्तर 150 फीट से बढ़ाकर 180 फीट कर दिया गया है। जिले के आखिरी छोर पर स्थित गांव पिछले 1-2 वर्षों से पूरी तरह से सूख जाते थे, वहां अब मानसून के बाद पानी की उपलब्धता है। इस तरह कंपनी की पहल ने लगभग 120 हेक्टेयर भूमि को सिंचित कर दिया है।

कंपनी की इस पहल के कारण लगभग सभी आयामों में सुधार नजर आया है और समुदायों के लिए समृद्धि के निर्माण के एसीसी के दर्शन के अनुरूप, हम इसके जल संरक्षण प्रयासों को बढ़ाना जारी रखेंगे।

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