ग्रीन हाइड्रोजन की टैक्नोलॉजी के विकास के लिए एलएंडटी करेगा आईआईटी बॉम्बे के साथ सहयोग

मुंबई, 27 अप्रैल, 2022- ईपीसी प्रोजेक्ट्स, हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग एंड सर्विसेज में जुटी एक भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (एल एंड टी) ने देश के प्रमुख टैक्नोलॉजी और रिसर्च इंस्टीट्यूट इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी, बॉम्बे के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के तहत दोनों संस्थान ग्रीन हाइड्रोजन वैल्यू चेन की दिशा में संयुक्त रूप से अनुसंधान और विकास को आगे बढ़ाने के लिए काम करेंगे।

दोनों संस्थानों ने भारत में हरित हाइड्रोजन उद्योग के विकास में योगदान देने और इस उभरते हुए क्षेत्र में अगली पीढ़ी की तकनीक विकसित करने के लिए हाथ मिलाया है।

एलएंडटी की इंजीनियरिंग विशेषज्ञता, उत्पाद का विस्तार और व्यावसायीकरण के बारे में पूरी जानकारी और हाइड्रोजन टैक्नोलॉजी में आईआईटी बॉम्बे के अत्याधुनिक शोध से इस साझेदारी को अपने लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलेगी।

इस अवसर पर टिप्पणी करते हुए श्री एस एन सुब्रह्मण्यन, सीईओ और एमडी, एलएंडटी ने कहा, ‘‘एलएंडटी हमेशा भारत में सभी क्षेत्रों में तकनीकी प्रगति और स्वदेशीकरण को आगे बढ़ाने में सबसे आगे रहा है। हम अपने भागीदारों के साथ मिलकर भारत में ग्रीन हाइड्रोजन इकोनॉमी को आगे बढ़ाने की स्थिति में हैं।‘‘

‘‘हमारे साझेदार और ग्राहक भी लागत कम करने और ग्रीन हाइड्रोजन का औद्योगीकरण करने की हमारी क्षमता का लाभ उठाने की आशा कर रहे हैं। आईआईटी बॉम्बे और इसके विश्व स्तरीय विशेषज्ञों के साथ यह सहयोग स्वदेशी विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी टैक्नोलॉजी के विकास का समर्थन करेगा और भारत को ग्रीन हाइड्रोजन टैक्नोलॉजी में आत्म निर्भरता की ओर ले जाएगा।’’

इस सहयोग पर बोलते हुए आईआईटी बॉम्बे के निदेशक प्रो. सुभाशीष चौधरी ने कहा, ‘‘जलवायु संकट की तात्कालिकता और 2070 तक भारत के अपने स्वयं के नेट जीरो के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को देखते हुए, जीवाश्म ईंधन की तुलना में ग्रीन हाइड्रोजन की दिशा में बदलाव इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। भारत का राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन सही दिशा में एक कदम है, और मुझे विश्वास है कि एलएंडटी के साथ हमारी साझेदारी के बाद एक लागत प्रभावी समाधान विकसित हो सकेगा। आईआईटी बॉम्बे का प्रयास राष्ट्रीय महत्व की चुनौतियों में महत्वपूर्ण योगदान देना है, और एलएंडटी के साथ हमारा सहयोग ऐसा ही एक उदाहरण है, जिसके तहत ग्रीन हाइड्रोजन से संबंधित टैक्नोलॉजी को विकसित किया जाएगा। और इस तरह यह प्रयास भारत को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना सकता है।’’

ग्रीन हाइड्रोजन जैसे उभरते उद्योग के विकास में टैक्नोलॉजी एक केंद्रीय भूमिका निभाती है। इस क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता में सुधार के लिए अनुसंधान और विकास के साथ-साथ विश्वसनीयता और उपकरणों की लागत को कम करना भी महत्वपूर्ण है और इसलिए, भारत में ग्रीन हाइड्रोजन को बड़े पैमाने पर अपनाना समय की आवश्यकता है। इसे स्वीकार करते हुए, एलएंडटी एक औद्योगिक भागीदार के रूप में भारतीय अनुसंधान एवं विकास सिस्टम के विकास और इस क्षेत्र के लिए टैक्नोलॉजी लीडरशिप का समर्थन करने के लिए आईआईटी बॉम्बे के साथ सहयोग कर रहा है।

केंद्र सरकार ने फरवरी 2022 में ग्रीन हाइड्रोजन नीति को अधिसूचित किया, जिसका उद्देश्य देश को मॉलीक्यूल के पर्यावरण के अनुकूल संस्करण के लिए एक वैश्विक केंद्र बनने में मदद करने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया के उत्पादन को बढ़ावा देना है। भारत जैसे देशों के लिए, इसके लगातार बढ़ते तेल और गैस आयात बिल, ग्रीन हाइड्रोजन आयातित जीवाश्म ईंधन पर समग्र निर्भरता को कम करके महत्वपूर्ण ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करने में मदद करेगा।

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