हेल्थ

खाने से बढ़ती है सुंदरता : नये अध्‍ययन ने रोजाना बादाम खाने से चेहरे की झुर्रियों और स्किन पिगमेंटेशन पर होने वाले प्रभावों की जांच की

Editor-Manish Mathur जयपुर 20 मार्च 2021  – नया शोध कहता है कि बादाम को अपने डेली स्किन केयर रूटिन में शामिल करने के एक से ज्‍यादा कारण हो सकते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, डेविस 1 के शोधकर्ताओं के एक नये अध्‍ययन में पाया गया है कि कैलोरी से ताल-मेल बैठाने वाले आम स्‍नैक्‍स की जगह पर रोजाना बादाम खाने से …

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6 राज्यों में लगाए निशुल्क राशन वितरण और कृत्रिम अंग माप शिविर

Editor-Ravi Mudgal  जयपुर 19 मार्च 2021  -पिछले 18 दिनों में, नारायण सेवा संस्थान ने जरूरतमंदों की मदद के लिए लगातार 6 राज्यों में मुफ्त राशन वितरण और कृत्रिम अंग मापन शिविर लगाए हैं। राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, गुजरात और झारखंड में लगभग 221 जरूरतमंद परिवारों को राशन किट वितरित किए गए हैं। एक साथ, 455 दिव्यांगों को ओपीडी …

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क्या आपके मन में कोरोना टीकाकरण से जुड़े कई सवाल उठ रहे हैं? टीकाकरण से जुड़े हर सवाल का जवाब

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Editor-Ravi Mudgal  जयपुर 18 मार्च 2021  – देश भर में लोग कोविड-19 टीकाकरण से गुजर रहे हैं, राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस पर गोदरेज समूह की प्रमुख कंपनी गोदरेज एंड बाॅयस के गोदरेज एप्लायंसेज ने पद्मश्री और डॉ. बी. सी. राय प्रेसिडेंशियल अवाॅर्डी व नेफ्रॉन क्लिनिक के चेयरमैन डॉक्टर संजीव बगई के सहयोग से कोराना टीकाकरण से जुड़े कुछ सवालों के जवाब …

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सड़क दुर्घटना में हुए मल्टीपल लिगामेंट इंजरी को मात देकर पुलिस सेवा पर वापस लौटे महेश

Editor-Dinesh Bhardwaj  जयपुर 16 मार्च 2021  – 48 वर्षीय महेश (बदला हुआ नाम) राजस्थान पुलिस सेवा में कार्यरत हैं। बीते दिनों वे एक गंभीर सड़क दुर्घटना के शिकार हुए और उन्हें नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर लाया गया। जाँच करने पर पता चला कि उनके दाहिने घुटने में मल्टीपल लिगामेंट इंजरी हो गई है, एक ऐसी स्थिति जिसमें यदि उनको सही समय पर इलाज …

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समस्त कर्मचारियों और परिवारों के लिए कोविड-19 टीकाकरण का खर्च वहन करेगा पिरामल एंटरप्राइजेज लिमिटेड

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Editor-Manish Mathur  जयपुर 16 मार्च 2021 – पिरामल एंटरप्राइजेज लिमिटेड (‘PEL’, NSE: PEL, BSE: 500302, 912460) ने आज अपने सभी कर्मचारियों और उनके परिवार के सदस्यों के लिए कोविड-19 टीकाकरण से संबंधित खर्च को वहन करने की घोषणा की। टीकाकरण के लिए पात्र कर्मचारियों और उनके निकट संबंधियों द्वारा भारत में टीका लगवाने पर कंपनी इस पर होने वाले खर्च …

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मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर लिमिटेड ने इम्यूनिटी चेक टेस्ट “कोविप्रोटेक्ट” लॉन्च किया

Editor-Ravi Mudgal जयपुर 15 मार्च 2021 -भारत के प्रमुख डायग्नोस्टिक सर्विस प्रोवाइडर, मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर लिमिटेड, ने आज कोविड-19 टीकाकरण के बाद इम्यूनिटी की स्थिति की जांच के लिए एक साधारण रक्त परीक्षण शुरू करने की घोषणा की। यह परीक्षण एक समुदाय में सेरोप्रीवेलेंस को समझने में मदद कर सकता है, और यह निर्धारित कर सकता है कि क्या अतीत में …

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राजस्थान में 60 प्रतिषत विवाहित महिलाएं आधुनिक गर्भ निरोधक साधनों का इस्तेमाल करती हैं-पीएमए इंडिया सर्वे में सामने आई जानकारी

Editor-Manish Mathur जयपुर,14मार्च 2021- वैष्विक स्तर पर षोध के लिए पहचान रखने वाले विश्वविद्यालयों में आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी जयपुर राजस्थान में प्रोजेक्ट पीएमए लागू कर रही है। परफाॅर्मेंस माॅनिटरिंग फाॅर एक्षन यानी पीएमए के तहत दुनिया के नौ देषों में की जाने वाली गतिविधियों में भारत भी षामिल है। अन्य देषों मंे इथोपिया, केन्या, बर्किनोफासो, नाइजीरिया, नाइजर, यूगांडा और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक आॅफ कांगो षामिल हैं। प्रोजेक्ट आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी जयपुर द्वारा लागू किया जा रहा है। इसमें झपाइगो, जाॅन हाॅपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल आॅफ पब्लिक हैल्थ में स्थित बिल एंड मिलिंडा गेट्स इंस्टीट्यूट फाॅर पाॅप्युलेषन एंड रिप्रोडक्टिव हेल्थ साथ काम करेेंगे और इसे राजस्थान स्वास्ृथ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय का सहयोग प्राप्त है। प्रोजेक्ट की फंडिंग बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेषन करेगा। डाॅ. लक्षमण सिंह ओला, डायरेक्टर, आरसीएच ने कहा कि, “यह राजस्थान के लिए तेजी से किया गया और उपयोगी सर्वेक्षण है। उन्होंने कहा कि, प्रौद्योगिकी का उपयोग और इस प्रकार के डिजिटल प्लेटफार्म, गुणवत्ता स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के हमारे प्रयासों को बढ़ावा देंगे।” राजस्थान में प्रजनन के आयुवर्ग वाली विवाहित महिलाओं में गर्भ निरोध के आधुनिक साधनों का इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है। 2016 में यह 52 प्रतिषत था जो 2020 में बढ़कर 59 प्रतिषत हो गया है। पीएमए के अध्ययन मंे यह भी सामने आया है कि जब विवाहित महिलाएं गर्भ निरोधक का इस्तेमाल षुरू करती हैं तो ग्रामीण महिलाओं में औसतन 2.4 और षहरी महिलाओं की औसतन 1.9 संतानें होती हैं। यह भी सामने आया है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर पिछले वर्षो में इंजेक्टेबल्स की उपलब्धता में काफी सुधार आया है। अध्ययन यह भी बताता है कि लम्बे समय से महिला नसबंदी सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाला साधन रहा है। एक प्रमुख यह बात भी सामने आई कि कुछ समय के लिए गर्भ रोकने वाले साधनों का इस्तेमाल बंद हो जाता है। ऐसे 40 प्रतिषत साधनों का इस्तेमाल 12 माह में बंद हो जाता है। वहीं 31 प्रतिषत के बंद होने का कोई अन्य कारण रहता है, वहीं नौ प्रतिषत ने गर्भधारण के लिए इन्हें बंद किया, वहीं 14 प्रतिषत ने कोई अन्य साधन इस्तेमाल करने के लिए इन्हें बंद किया। गर्भ निरोधक का इस्तेमाल करने वाली 76 प्रतिषत महिलाओं और इनका इस्तेमाल नहीं करने वाली 31 प्रतिषत महिलाओं ने कहा कि गर्भनिरोधक केे इस्तेमाल का निर्णय उनके और उनके साथी की आपसी सहमति से हुआ है। जो महिलाएं घर से बाहर निकल कर काम कर रही हैं, वे घर में रहने वाली महिलाओं के मुकाबले आधुनिक साधनों का इस्तेमाल ज्यादा कर रही हैं। जितनी भी महिलाओं का सर्वे किया गया, उनमें से ग्रामीण महिलााओं की यौन गतिविधियां, षादी और बच्चे षहरी महिलाओं के मुकाबले ज्यादा जल्दी हुए। हालांकि इन्होंने गर्भनिरोधक का इस्तेमाल देर से षुरू किया। युवा महिलाओं में से लगभग 20 प्रतिषत की षादी 18 वर्ष की उम्र तक हो गई थी, 4 प्रतिषत ने इस उम्र तक बच्चे को जन्म दे दिया था और सिर्फ तीन प्रतिषत ने गर्भ निरोधक का इस्तेमाल किया था। परिवार नियोजन के अलावा सर्वे में कोविड-19 के असर बारे में भी उन्हीं परिवारों से बात की गई। करीब 84 प्रतिषत परिवारों ने आय में पूरी या कुछ कमी की बात कही, वहीं 39 प्रतिषत ने पूरी आय के नुकसान की बात कही। स्वास्थ्य सेवाओं की बात करें तो कोविड- 19 के प्रतिबंधों के दौरान 32 प्रतिषत स्वास्थ्य केन्द्र बंद थे। इनमें से भी 69 प्रतिषत एक माह से अधिक अवधि के लिए बंद रहे। वहीं 48 प्रतिषत महिलाएं जिन्हें कोविड के दौरान स्वास्थ्य केन्द्र जाने की जरूरत थी, उन्होंने कोविड के डर के कारण वहां जाने से परहेज किया। 96 प्रतिषत महिलाओं मंे कोविड- 19 के प्रति कुछ चिंता थी, वहीं 69 प्रतिषत इसे लेकर बहुत चिंतित थी। कोविड 19 के दौरान स्वास्थ्य केन्द्र जाने की जरूरत वाली 35 प्रतिषत महिलाओं को वहां स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिलीं। कोविड- 19 के कारण 15 प्रतिषत महिलाओं को अपना मौजूदा समुदाय छोड़ना पड़ा, वहीं 83 प्रतिषत महिलाएं ऐसे परिवारों में थीं, जिनकी आय का काफी, कुछ कम या कम नुकसान हुआ है। 63 प्रतिषत महिलाएं ऐसी थीे, जो कोविड-19 से पहले अपने पति या साथी की आय पर ज्यादा निर्भर नहीं थीं, लेकिन इस दौरान उन्हें उन पर ज्यादा निर्भर रहना पड़ा। कोविड-19 के कारण परिवार के भविष्य की आय को लेकर 83 प्रतिषत महिलाओं ने चिंता जाहिर की। राजस्थान में डाटा संग्रहण का काम इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ हैल्थ मैनेजमेंट रिसर्च (आईआईएचएमआर) यूनिवर्सिटी जयपुर ने किया। मास्टर सेम्पलिंग फ्रेम में से इंटरनेषनल इंस्टीट्यूट फाॅर पाॅप्युलेषन साइंसेज ने 134 गणना क्षेत्र चिन्हित किए थे। हर क्षेत्र में परिवारों और निजी स्वास्थ्य सेवाओं की सूची बना कर मैपिंग की गई। हर क्षेत्र से 35 परिवार चुने गए। परिवारों का सर्वे किया गया और उनमें रहने वालो की गणना की गई। 15 से 49 वर्ष की सभी पात्र महिलाओं से सम्पर्क किया गया इंटरव्यू के लिए सहमति ली गई। अंतिम सैम्पल में 4577 परिवार (98.8 प्रतिषत ने जवाब दिया), 5405 महिलाएं (98.1 प्रतिषत ने जवाब दिया) और 575 स्वास्थ्य केन्द्र (98.5 प्रतिषत पूरे किए गए) षामिल थे। पहले चरण का डाटा संग्रहण अगसत से अक्टूबर 2020 के बीच किया गया।

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कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज लगवाई यह पूर्णत सुरक्षित – आशा मीणा

Editor-Sohan lal जयपुर 14 मार्च 2021  – दिनांक 13 मार्च 2021 को कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज लगवाई यह पूर्णत सुरक्षित है इससे घबराने की जरूरत नहीं है अपनी बारी आने पर नजदीकी अस्पताल में जाकर हाथों हाथ आधार कार्ड से रजिस्ट्रेशन करवा कर अपने परिवार के बड़े बुजुर्गों व स्वयं वैक्सीन लगवा सकते हैं आशा मीणा ने यह संदेश …

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स्पाइसहेल्थ ने सबसे किफायती आरटी-पीसीआर (RTPCR) टेस्टिंग सीधे ग्राहकों के लिए उपलब्ध कराया

Editor-Manish Mathur जयपुर 12 मार्च 2021  – रियल-टाइम पॉलीमरेज़ चैन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) (RT-PCR) टेस्ट्स को हर भारतीय के लिए सबसे किफायती और आसानी से उपलब्ध होने योग्य बनाने के अपने लक्ष्य की दिशा में अगला कदम उठाते हुए स्पाइसहेल्थ ने आम जनता के लिए मात्र 499 रुपयों में, देश की सबसे सस्ती टेस्टिंग सुविधा को शुरू करने की घोषणा आज …

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मेरिल लाइफ साइंसेज ने देसी स्तर पर अनुसंधान से विकसित थिन-स्ट्रट बायोरिजॉर्बेबल स्कैफोल्ड, MeRes100 – BRS भारत में पेश किए

Editor-Ravi Mudgal जयपुर, 10 मार्च, 2021 – मेरिल लाइफ साइंसेज ने आज अपने देसी अनुसंधान और विकास वाले बायोरिजॉर्बेबल स्कैफोल्ड (BRS) MeRes100 को भारत में पेश करने घोषणा की। बायोरिजॉर्बेबल स्कैफोल्ड मेटल के नहीं होते हैं और ना ही स्थायी जाली वाले ट्यूब होते हैं। ये स्टेंट जैसे होते हैं पर समय के साथ घुल जाते हैं। इससे पहले यह सुनिश्चित कर लिया जाता है …

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